लेखनी कहानी -06-Sep-2022# क्या यही प्यार है # उपन्यास लेखन प्रतियोगिता# भाग(17))
गतांक से आगे:-
कालू को खंजर हाथ मे लेकर कबीले से बाहर जाते सरदार ने देख लिया था उसका मन कांप गया ।उसे ये तो था कि कालू जल्दी से राजकुमार सूरज पर हाथ तो नही डाल सकता क्योंकि वो कोई साधारण मनुष्य नही है यहां की रियासत के राजकुमार है उनके लिए भी सुरक्षा इंतजाम पुख्ता होंगे पर हर जगह तो सुरक्षा कर्मी पहुंच नही सकते और अब तक तो राजकुमार सूरज को भी चंचला की महल मे अनुपस्थिति का पता चल गया होगा वो भी खोज खबर कर रहे होंगे चंचला की अगर रानी मां से पता चल गया तो कही कबीले की तरफ ना आ जाए अकेले।तब तो कालू जरूर ही पकड़ लेगा राजकुमार को
सरदार धर्म सिंह कोई उपाय सोचने लगे जिस से सांप भी मर जाए ओर लाठी भी ना टूटे। उन्होंने मन ही मन विचार किया और अपने खेमे मे चले गये वहां से दो मटकी महुआ की भर कर लाये और जो लड़के चंचला की निगरानी कर रहे थे उनको अपने पास बुलाया ,"अरे छोरों ,बात सुनो मै मानता हूं चंचला ने गलत काम किया है और इसे इसकी सजा जरूर मिलेगी।पर तुम लोग भी कब तक खड़े रहोगे थोड़ा सुस्ता लो और थोड़ा महुआ पी कर आराम कर लो क्या पता कालू को कब राजकुमार मिलेगा क्या इतने तुम खड़े ही रहोगे।तुम महुआ पियो इतने मै इस कमीनी की निगरानी करता हूं जो कबीले की नाक कटवा कर फिर से कबीले मे आ गयी है ।"
यह कह कर सरदार ने दो मटकियां उन लड़कों के आगे कर दी ।वे कालू के आदमी थे नशे के आदी । सामने महुआ की मटकियां देखी तो उनके मुंह मे पानी आ गया । कहां तो त्यौहार बार पर कभी कभार महुआ के दर्शन होते थे और कहां आज बिना किसी प्रयास के महुआ सामने पड़ा था और वो ना पीये ऐसा कैसे हो सकता था वे सब उन मटकियों पर टूट पड़े ।इतने सरदार ने अंदर से दो मटकी ओर लाकर रख दी।
पागलों की तरह महुआ पी कर वे लौट पोट होने लगे।कुछ कुछ बकने लगे एक दूसरे से ।तभी सरदार ने उस समय का फायदा उठाया ओर चंचला की रस्सियां ढीली कर दी ।अगर काटता तो कालू शक करता कि अपनी बेटी को बचाने के लिए सरदार ने पक्षपात किया है ।वह चंचला से बोला,"बिटिया जो कदम तुम लोग उठा चुके हो वह बदला तो नही जा सकता पर मै कहता हूं तुम यहां से भाग कर राजकुमार सूरजसेन को बचाओ कही वे तुम्हें ढूंढते हुए यहां ना आ जाए तब तो कालू उन्हें दबोच ही लेगा ।माना वै शूरवीर है लेकिन निहत्थे और विरह के मारे राजकुमार इन दरिंदो का कुछ नही बिगाड़ पायेंगे तू् फटाफट जा और राजकुमार को रोक वहां महल मे भी अगर नही रहने दे तुम्हें तो दूर कही भाग जाना और एक अलग दुनिया बसा लेना मेरी बेटी।"
यह कहकर सरदार ने अपने अंगरखे मे छुपाकर रखे चंचला की मां के कंगन उसे भेंट स्वरूप दिया ओर बेटी के सिर पर हाथ फेर कर बेटी को कबीले से भगा दिया।
चंचला बेहताशा भागी चली जा रही थी महल की ओर । राजकुमार सूरजसेन ने महल आते हुए बहुत से गुप्त रास्ते बताएं थे महल आने के वह उन्हीं रास्तों से महल जा रही थी ।अगर सीधे रास्ते जाती तो कालू के मिलने का डर था उसे ।पर मन मे एक और डर भी था कही राजकुमार उसकी टोह मे निकल ना जाएं वह भागी भागी जा रही थी ।मन मे बस यही डर था कही राजकुमार निहत्थे कबीले मे मुझे ढूंढने ना चले जाए ।कालू तो ताक लगाए बैठा होगा कि अब राजकुमार उसे मिले और कब वह उनसे बदला ले चंचला को उससे छीनने का ।
जैसे ही चंचला राजमहल पहुंची राज माता पंछियों को दाना डाल रहीं थी । उन्होंने सामने से दुल्हन वेश मे आती चंचला को देख लिया ।रानी रूपावती का माथा ठनका ,"बड़ी ही बेशर्म लड़की है रात तो समझा बुझा कर भेजा था इसे इसके कबीले ।और भोर होते ही यह फिर से आ गयी ।"
उन्होंने तुरंत दासी के हाथों चंचला को अपने कक्ष मे बुलवाया,"क्या बात ? तुम वापस आ गयी ।वो भी इतनी जल्द।"
चंचला हांफते हुए बोली,"रानी मां , राजकुमार कहां है ? मेरे कबीले के लड़के उन्हें ढूंढ रहे है । मै राजकुमार को राजमहल मे रोके रखने के लिए उनकी चंगुल से छूटकर बड़ी मुश्किल से आई हूं ।बापू कह रहे थे कि मेरी बचपने मे ही हमारे कबीले के लड़के कालू से विवाह पक्का कर दिया था ।वो मुझे अपनी जायदाद समझता है । कोई मेरे पास से भी गुजर जाए वो उसे बर्दाश्त नही है ।पहले तो मै सोचती थी कि मै कबीले के सरदार की बेटी हूं इसलिए वो मेरी सुरक्षा के लिए ये सब ….. पर मुझे क्या पता था कि उससे मेरा ब्याह पक्का हो गया था बचपने मे।
रानी मां मुझे वो एक आंख नहीं भाता ।पर वो अब राजकुमार के खून का प्यासा हो गया है और खंजर लेकर महल की ओर ही आ रहा था वो तो मै गुप्त मार्ग जो राजकुमार ने मुझे बताये थे उससे आकर कालू से पहले ही राजमहल पहुंच गयी।पर..…राजकुमार?
रानी मां ये बातें सुनकर परेशान हो उठी और उसे अपने कक्ष मे बैठने को बोलकर वह राजकुमार सूरजसेन के कक्ष की ओर लपकी।पर उन्हें सूरजसेन कही भी नही दिखाई दिया रानी उस कक्ष मे भी दौड़ी दौड़ी गयी जहां चंचला को राजकुमार ने रखा था । वहां एक पहरेदार बैठा था और उसके मुंह से खून निकल रहा था ।रानी ने दौड़कर उससे पूछा,"ये तुम्हारा हाल किसने किया?*
पहरेदार अपना मुंह सहलाता हुआ बोला,"रानी मां आज भोर होने से पहले ही राजकुमार इस कमरे मे आये थे और जो अतिथि इसमे ठहरे थे उनको यहां ना पा कर पूछने लगे कि वो कहां गयी?
जब मैंने कहा कि वो तो अपने कबीले मे लोट गयी है और मै ही रानी मां के कहने से उन्हें छोडकर आया हूं बस फिर क्या था राजकुमार ने ताबड़तोड़ मुझ पर घूंसे बरसाये और अपना घोड़ा लेकर महल से निकल गये।
रानी रूपावती का मन डर से कांपने लगा कि हो ना हो राजकुमार कही…..
(क्रमशः)
Pallavi
22-Sep-2022 09:27 PM
Beautiful part
Reply
Abeer
21-Sep-2022 08:13 PM
Nice
Reply
Barsha🖤👑
21-Sep-2022 05:18 PM
Beautiful
Reply